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old vs. new delhi - admin - 03-19-2015 दिल्ली की संस्कृति यहां के इतिहास और भारत की राजधानी के रूप में ऐतिहासिक स्थिति से पूर्ण प्रभावित रही है, यह शहर में बने कई महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों से भरी है. दिल्ली में जितनी भीड़भाड़ आज रहती है वह सौ साल पहले बिलकुल नहीं थी. इन सौ सालों में दिल्ली कितनी बदली है आप इन तस्वीरों को देखकर आसानी से समझ जाएंगे. 1. पुरानी दिल्ली से नई दिल्ली ![]() पीवीआर प्लाज़ा 1952 ![]() अब पीवीआर प्लाज़ा कुछ ऐसा दिखता है 2. नई दिल्ली से पहले दिल्ली का दिल चांदनी चौक, कशमीरी गेट और सिविल लाइन था. दिल्ली एनसीआर इसका हिस्सा नही हुआ करता था. ![]() ![]() कशमीरी गेट 1865 ![]() राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, गुड़गांव 3. उस समय दिल्ली की सड़कों पर इतनी ज़्यादा भीड़ नहीं हुआ करती थी ![]() 4. ब्लूलाइन बसों के बंद होने के बाद दिल्ली में लाल-हरी बसों से लेकर मेट्रों के लिए रास्ते खुल गए ![]() ![]() ![]() 5. उस समय खरीदारी का मतलब लोकल बाजार हुआ करते थे. मॉल नहीं! ![]() ![]() सेलेक्ट सीटी वॉल्क, साकेत 6. दिल्ली हमेशा से एक महत्वपूर्ण शहर रहा है, तभी तो यहां आज से नहीं आज़ादी के समय से पुलिस गश्त लगा रही है. ![]() 1947 में नई दिल्ली की सड़कों पर गश्त लगाते पुलिस कर्मी ![]() दिल्ली पुलिस अब कुछ इस तरह गश्त लगाने लगी है 7. काम की तलाश लोगों को दिल्ली लेकर आ ही जाती है, क्योंकि दिल्ली अवसरों का एक केंद्र है. ![]() ![]() अब टेलीफोन संचालन कुछ इस तरह से होने लगा है 8. 1982 में हुए एशियाई खेल दिल्ली के बदलाव की ऐतिहासिक शुरूआत थी ![]() 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के माध्यम से दिल्ली ने खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित किया ![]() 9. दिल्ली में राष्ट्रपति भवन की सुंदरता अमर है. वायसरॉय के निवास से लेकर भारत के राष्ट्रपति का घर बनने तक इसकी सुदंरता पहले से और बढ़ी है. ![]() ![]() 10. गणतंत्र दिवस समारोह और दिल्ली का एक अटूट रिश्ता है ![]() गणतंत्र दिवस परेड 1950 ![]() गणतंत्र दिवस परेड 2015 11. दिल्ली क्यों भारत की राजधानी है इसका भी एक कारण हैं. जिस तरह से दिल्ली में चुनाव होते हैं शायद ही उस तरह किसी और जगह होते होंगे ![]() 1943 के चुनाव, दिल्ली टाउन हॉल से बाहर ![]() 12. साहसी अतीत को दिल्लीवासी कभी नहीं भूलते, वह उसे वर्तमान के साथ मिलाकर बेहद ही सुंदर तरीके से पेश करते है. ![]() दिल्ली पुलिस के हेडक्वाटर की दीवार पर बना गांधी का चित्र ब्रिटिश भारत से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी बनने तक का सफ़र किसी प्रेरणादायक फ़िल्म की कहानी से कम नही |